MISSION TO SPREAD FINANCIAL AWARENESS AMONGST EMPLOYEES
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1. आयकर विभाग - पैसा जिसका घर उसका - सिविल कानून के अनुसार प्रॉपर्टी / घर उसका होता है जिसके नाम से प्रॉपर्टी खरीदी जाती है और जो रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड में दर्ज होता है - भले ही उसका पेमेंट किसी ने किया हो | लेकिन आयकर विभाग के नियमों के अनुसार प्रॉपर्टी / मकान का मालिक वह होता है जिसने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए राशी का भुगतान किया है | यानि सिविल नियम एवं आयकर नियम के अनुसार प्रॉपर्टी का मालिक अलग अलग होता है |
इसको इस तरह से समझे कि यदि कोई घर आपने अपनी पत्नी के नाम ख़रीदा है पर इसको खरीदने के लिए इ ऍम आई आपके वेतन से जा रहा है या आपने अपने बैंक बैलेंस से विक्रेता को भुगतान किया है तो आयकर विभाग कि नज़र में आप इस प्रॉपर्टी के मलिक है | इस स्तिथि के तीन मायने है -
1. आयकर विभाग के लेंस में आपके नए वित्तीय लेनदेन - आयकर विभाग ने निर्दिष्ट वित्तीय लेने देन ( Specified Financial Transaction ) के अंतर्गत नए प्रकार के लेनदेन को सम्मिलित करने का निर्णय लिया है जिसमे प्रमुख है -
उक्त लेन देन आयकर विभाग के वेबसाइट पर फॉर्म 26 AS में दिखेगा | टैक्स पेयर से उम्मीद की जाती है कि वह उक्त लेन देन में भुगतान का सोर्स बताये तथा उसके अनुसार ही अपना टैक्स भरे |
1. कांटेक्टलेस आयकर विभाग - प्रधान मंत्री ने 14 अगस्त को नए आयकर कार्य प्रणाली की घोषणा की है जिसके मुख्य विशेषता है -
2.मृत पिता की संपत्तियों में भी बेटी का हक़ -
1. बैंक फिक्स्ड डिपाजिट से निगेटिव रिटर्न - आज दिनांक में भारतीय स्टेट बैंक एक साल की सावधि जमा योजनाओं पर 5.10 % प्रतिवर्ष व्याज दे रहा है | यदि आप एक लाख रूपया बैंक में रखते है तो यह एक साल में रु 1,05,100 हो जायेगा | इस पर 30 % आयकर ( आयकर स्लैब के अनुसार ) लगने के कारण यह राशि घट कर रु 1,03,570 हो जायेगा | (2) अभी मूल्य वृद्धि ( इन्फ्लेशन) की दर 5% से अधिक है | अतः रु 5000 घटाने पर बैंक सावधि योजना में एक साल बाद आपका रु 1,00,000 वास्तव में घट कर रु 98,750 रह जायेगा- (3) मतलब यह हुआ कि आपको 5.10 % प्रतिवर्ष के स्थान पर (-) 2% [ ऋणात्मक 2 %] वास्तविक रिटर्न मिल रहा है| अतः आपको किसी ऐसी योजना में ही निवेश करना चाहिए जिसमे कम से कम 7 % प्रतिवर्ष व्याज मिलता हो और कोई आयकर नहीं लगता हो |
2. नया उपभोक्ता संरक्षण नियम 2019 - (1) जुलाई से लागू (2) उपभोक्ता जहाँ निवास या कार्य करते है वही से शिकायत दर्ज कर सकते है - पहले जहाँ वस्तु ख़रीदा जाता था वही शिकायत करने की पाबन्दी थी (3) ई-कॉमर्स कम्पनी जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट शिकायत के निराकरण एवं प्रोडक्ट की क्वालिटी के लिए जिम्मेवार होंगे - पहले इन ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना होता था कि वह विक्रय प्लेटफार्म है अतः प्रोडक्ट कि क्वालिटी के लिए निर्माता ही जिम्मेवार है |(4) सेलिब्रिटी यदि किसी प्रोडक्ट का प्रचार करते है तो वह उसकी क्वालिटी के लिए भी जिम्मेवार होंगे (5) जिला उपभोक्ता कोर्ट के फैसले के विरुद्ध अपील करने से पहले विरोधी पार्टी को 50 % राशि जमा करना होगा |
1. बुरे समय में सोना ही सबसे अच्छा निवेश है _
# वर्ष 2000 से सिर्फ 04 सालों में सोना का मूल्य उसके पिछले साल से कम रहा है |
# पिछले 20 साल में सोना ने 10 % प्रतिवर्ष का रिटर्न दिया है जो बैंक एफ डी से अधिक है |
# सोना आप कभी भी कही भी बेच सकते है - किसी बैंक या म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी ने बंद होने का इसपर कोई असर नहीं होता है |
कोरोना के समय मे विभिन्न निवेशों कि स्तिथि पर विचार करते है -
अतः सभी लोगों को अपने निवेश का 10-15 % सोने में रखना चाहिए -जिससे से कोरोना जैसी महामारी / आपातकालीन समय में रासी कि व्यवस्था कि जा सके |
2. सोना में निवेश कैसे किया जाए -
पर यदि 10 सालका सोना का भाव देखा जाए तो 8 साल का रिटर्न लगभग 4 % है जबकि 10 सालका रिटर्न 10 % है | अतः गोल्ड बांड कि अपेक्षा गोल्ड म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश से बेहतर रिटर्न मिलने कि संभावना है |
1. घटते व्याज दर के समय अधिक व्याज देने वाली योजनायें -
बैंकों द्वारा सावधि जमा योजनओं पर व्याज दर लगातार घटायीं जा रही है | स्टेट बैंक की 5 वर्ष से अधिक जमा योजनओं पर 5.40 % व्याज मिल रहा है जो टैक्स कटने पर 5 % रह जाता है | कुछ सरकारी योजनाए अभी भी 7 % से अधिक व्याज दे रही है :-
2. सेवानिवृति पर मिलने वाली राशि का निवेश कैसे किया जावे - सेवानिवृति पर यदि आपको रु 50.00 लाख प्राप्त होता है और यदि आप सावधि जमा योजना में रखते है तो आपको साल का लगभग रु 2.50 लाख व्याज प्राप्त होगा | यदि आपका मासिक खर्च रु 20,000 है तो यह अभी के लिए पर्याप्त है |
अतः रिटायरमेंट से मिले आधा पैसा बैंक फिक्स्ड डिपाजिट तथा आधा पैसा म्यूच्यूअल फण्ड में रखने से आपको इतना पैसा मिल सकता है कि आपका बढ़ा हुआ मासिक खर्च पूरा हो सके |
1.नॉमिनी मृतक की संपत्ति का मालिक नहीं होता है -
2.REIT ( Real Estate Investment Trust ) -
1. पार्टीशन शूट - यदि किसी पैट्रिक संपत्ति में भाइयों आदि के विरोध के कारन आपका हिस्सा नहीं मिलता है तो आप स्थानी दीवानी न्यायालय में पार्टिशन शूट ला सकते है | इसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि आपके पास प्रॉपर्टी का दस्तावेज हो - मात्र प्रॉपर्टी का पता देना काफी है | साथ ही यह भी आवश्यक नहीं है कि सभी उत्तराधिकारी कोर्ट में जाए | पार्टीशन शूट की कार्यवाही प्रारंभ होने पर विरोधी पक्ष की जिम्मेवारी होती है कि वह साबित करे कि प्रॉपर्टी में आपका हिस्सा नहीं है |
2. हिन्दू उत्तराधिकार नियम पार्ट - II - यदि किसी व्यक्ति के उपर हत्या का आरोप साबित होता है तो उसे पैत्रिक संपत्ति प्राप्त नहीं होता है | रोग, विकलांगता के आधार पर किसी को उत्तराधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है | विधवा को पुनः विवाह के आधार पर पूर्व पति के संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है | पुरुष के मृत्यु होने पर उसकी संपत्ति पुत्र, पुत्री एवं पत्नी को साथ साथ एवं बराबर बराबर प्राप्त होगा |
3. आयकर विभाग आपके साथ आपके द्वार - आप आयकर विभाग के वेबसाइट पर जाकर फार्म भरकर अपने सवालों के जवाब पा सकते है | इसके साथ आयकर विभाग ने अपना फ़ोन न.- 1800-180-1961 भी इसके लिए खोल रखा है | सारा पत्राचार गुप्त रखा जाता है साथ ही आप अपना आयकर फॉर्म भरवाने के लिए टैक्स रिटर्न प्रिपेरर की मदद ले सकते है | इनका फीस रु 300 से 1000 है| फ़ोन न. 1800 -10 -2378 पर कॉल कर आप इनके साथ अपने घर आकर सेवा देने के लिए अपॉइंटमेंट भी तय कर सकते है |T
1. सिबिल क्रेडिट स्कोर - a. यदि आप कोई लोन लेना चाहते है तो लोन देने वाला पहले आपका क्रेडिट स्कोर चेक करता है|यदि आपका क्रेडिट स्कोर 900 में से कम से कम 750 है तभी आपको आसानी से लोन मिल पाएगा |b.सवाल है कि क्रेडिट स्कोर बनता कैसे है - जब आप कोई लोन या क्रेडिट कार्ड के बकाया का भुगतान करते है तो इसकी जानकारी सिबिल ( Credit Information Bureau Of India) को जाती है | यदि भुगतान समय से नियमित रूप से करते है तो क्रेडिट स्कोर स्कोर बढता है लेकिन समय पर पूरा भुगतान नहीं करने से क्रेडिट स्कोर घटता है| यदि आप सक्षम है लेकिन आपने लोन नहीं लिया है तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर नहीं बढेगा क्योंकि लेंडर को आपके क़र्ज़ व्यवहार का पता नहीं चलता है| अतः क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि आप लोन ले तथा समय पर वापस करें | आज कल नौकरी देने वाली कम्पनियां तथा माकन मालिक भी क्रेडिट स्कोर का उपयोग करने लगे हैं.|
2.लोन की गारंटी देने का मतलब - यदि अप किसी और व्यक्ति या रिश्तेदार द्वारा लिए गए लोन की गारंटी देते हैं तो यदि लोन लेने वाला समय से पूरा किश्त वापस नहीं देता है तो इस लोन को वापस करने की जिम्मेवारी आपकी हो जाएगी | और इस लोन की वापसी के लिए बैंक या लोन देने वाला आपकी संपत्ति कुर्क करा सकता है |इतना ही नहीं, इससे आपका क्रेडिट स्कोर घट सकता है एवं आपकी लोन लेने की सीमा उस सीमा तक घाट सकती है जिस सीमा तक आपने लोन की गारंटी दी है |एक बार लोन की गारंटी देने के बाद उससे बाहर निकलना बैंक की मर्जी पर निर्भर करता है | अतः किसी और के लोन की गारंटी देने से पहले गंभीरता से विचार कर लें |
1. अंत में गरीबी के दिन क्यों - रेमंड के पूर्व मालिक का अपने बेटे के साथ प्रॉपर्टी विवाद पर कोर्ट केस चल रहा है - वह किराया के घर में रह रहे हैं और उनके पास कार भी नहीं है | इसी प्रकार मेजर ध्यान चंद ( हॉकी के जादूगर ) , कार्ल मार्क्स , मीणा कुमारी आदि के अंतिम दिन पैसों के अभाव में कटे हैं | कर्मचारियों के संबंध में इस बाबत कोई डाटा उपलब्ध नहीं है लेकिन दो कारणों से यह आवकश्यक है कि पेंशन सहित रिटायरमेंट में प्राप्त होने वाली राशि का बेहतर प्रबंधन किया जाये - (1) व्यक्ति अब रिटायरमेंट के बाद 20 -30 साल जिन्दा रहता है (2) सिर्फ पेंशन अंतिम सालो में मेडिकल बिल के भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं होता है |
a रिटायरमेंट के लिए वीत्तीय प्रबंधन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवकश्यक है :-a . निवेश उन साधनों में करें जो इन्फ्लेशन से ज्यादा रिटर्न देते हैं | किराये पर दिए गए घर के किराये से मकान खरीदते समय निवेशित राशि पर 3 % से अधिक रिटर्न प्राप्त नहीं होता है | और किसनो कि आत्म हत्याओं से स्पष्ट है कि कृषि के लिए जमीन खरीदने में लाभ नहीं है | साथ ही जरुरत के समय घर या जमीन तुरंत बिकता नहीं है और यह एक इमोशनल निर्णय होता है|
b . अपने जीवन काल में संपत्ति को बच्चों के नाम किया जाना बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय नहीं है | परिस्थितियां ऐसी हो सकती है जब आपका बच्चा आपकी मदद न कर पाए - अगर आपका बच्चा विदेश में है तो न तो आप जा पाएंगे और न तो जरुरत के समय वह आपके साथ होगा | साथ ही आपके बच्चे का जीवनसाथी का आपको पसंद करता है की नहीं-यह एक समस्या हो सकती है |
c. संचार क्रांति के वर्तमान युग में ऐसी संपत्ति जिस पर टैक्स आदि नहीं दिया गया है या जो दूसरों के नाम से बेनामी ख़रीदा गया है उसका निवेश कठिन होता जा रहा है |
d . सेवानिवृति के समय आपका मासिक व्यय अगर रु 50,000 है तो सलाना व्यय रु 6.00 लाख होगा | अब उन्नत चिकित्सा उपलब्ध होने के कारन व्यक्ति सेवानिवृति के 30 साल बाद तक जिन्दा रहता है तो उसको रिटायरमेंट के समय लगभग रु 1.80 करोड़ की आवकश्यकता होगी | इसका आधा ही पेंशन से प्राप्त होगा, शेष व्यवस्था आपको अपनी जमा पूंजी से करना होगा अतः आवकश्यक है कि आप अपनी पूंजी के प्रबंधन के लिए समय दे तथा इसके लिए निवेश सलाहकार की सेवाए ले |